
शिक्षक का बच्चों के भविष्य में महत्वपूर्ण योगदान होता है। एक शिक्षक के बिना छात्र का जीवन अधूरा रहता है। स्कूलों में इस दिन तरह-तरह के कार्यक्रर्म आयोजित किए जाते हैं और शिक्षक छात्रों को संबोधित भी करते हैं, लेकिन इस साल कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद हैं। जिसकी वजह से छात्र इस साल शिक्षक दिवस स्कूलों में नहीं मना पा रहे हैं।
लेकिन इसके लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है, जिस तरह 'कोरोना काल' में अन्य समारोह मनाए जा रहे हैं, शिक्षक दिवस भी मनाया जाएगा। गौरतलब है कि स्कूल बंद होने की वजह से ऑनलाइन क्लास चलाए जा रहे हैं। उसी तरह शिक्षक दिवस भी आप ऑनलाइन मना सकते हैं। इस मौके आप भी प्रभावशाली तरीके से हिंदी में भाषण दे सकते हैं। आइए जानते हैं शिक्षक दिवस पर भाषण से जुड़ी मुख्य बातें।
अपने भाषण में इन मुख्य बातों को जरूर करें शामिल...
क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस?
पांच सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने के पीछे एक रोचक कहानी है। कहा जाता है कि एक बार सर्वपल्ली राधाकृष्णन से उनके छात्रों ने उनके जन्मदिन का आयोजन करने के लिए पूछा। तब राधाकृष्णन ने उनसे कहा कि आप मेरा जन्मदिन मनाना चाहते हैं यह अच्छी बात है, लेकिन अगर आप इस खास दिन को शिक्षकों द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान और समर्पण को सम्मानित करते हुए मनाएं तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी। उसके बाद उनकी इसी इच्छा का सम्मान करते हुए 1962 से भारत में पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
कौन थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन?
डॉ. राधाकृष्णन का जन्म एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। कहा जाता है कि राधाकृष्ण के पिता चाहते थे कि उनका बेटा अंग्रेजी ना सीखे और मंदिर का पुजारी बन जाए। राधाकृष्णन अपने पिता की दूसरी संतान थे। उनके चार भाई और एक छोटी बहन थीं। छह बहन-भाइयों और माता-पिता को मिलाकर आठ सदस्यों के इस परिवार की आय बहुत कम थी।भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को बचपन में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के ज्ञानी, एक महान शिक्षाविद, महान दार्शनिक, महान वक्ता होने के साथ ही हिन्दू विचारक भी थे। राधाकृष्णन ने अपने जीवन के 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में बिताए थे।