Hindi Diwas 2020, significance, history, date, importance:
हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन को भारतवर्ष में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। अन्य पर्व की तरह ही भारत के लोगों के लिए हिंदी दिवस भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इस दिन स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालयों में अलग-अलग तरीकों से इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। 14 सितंबर को देशभर में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन को विशेष रूप से हिंदी दिवस मनाने के लिए क्यों चुना गया है? आइए 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने के पीछे का इतिहास बताते हैं।हिंदी दिवस का इतिहास:
1947 में जब हमारे देश को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली, तब उनके सामने भाषा की एक बड़ी चिंता खड़ी हुई। भारत एक विशाल देश है जिसमें विविध संस्कृति है। ऐसी सैकड़ों भाषाएं हैं जो देश में बोली जाती हैं और हजारों से अधिक बोलियां हैं। 6 दिसंबर 1946 को, स्वतंत्र भारत के संविधान को तैयार करने के लिए संविधान सभा को बुलाया गया था। सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा के अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था, बाद में उनकी जगह डॉ. राजेंद्र प्रसाद को नियुक्त किया गया। डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। विधानसभा ने 26 नवंबर 1949 को अंतिम मसौदा पेश किया। इसलिए, स्वतंत्र भारत ने 26 जनवरी 1950 को पूरी तरह से अपना संविधान प्राप्त किया।लेकिन फिर भी, संविधान के लिए एक आधिकारिक भाषा चुनने की चिंता अभी भी अनसुलझी थी। एक लंबी बहस और चर्चा के बाद, हिंदी और अंग्रेजी को स्वतंत्र भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में चुना गया। 14 सितंबर 1949 को, संविधान सभा ने देवनागरी लिपि और अंग्रेजी में लिखित हिंदी को एक आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। बाद में, पं. जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन को देश में हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।
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